Thursday, 1 March 2012

जनभागीदारी व सरकारी हिस्सेदारी से क्या कुछ किया जा सकता है काबर झील पक्षी विहार के लिए ? :-

१. सर्वप्रथम काबर झील क्षेत्र को गंडक नदी से लिंक नहर के द्वारा जोड़ा जाये . नहर का उपयोग किसान खेती कार्य में भी कर पाएंगे. मछुआरे मत्स्य  पालन कर पाएंगे .

२. काबर झील के लिए अधिसूचित जमीन अवैध कब्ज़ा मुक्त किया जाये .यदि अधिसूचित क्षेत्र के अंतर्गत की जमीं पर मालिकाना हक़ को लेकर किसानों का दावा है तो अविलम्ब एक 'विवाद निबटारा ट्रिब्यूनल' का गठन कर भूमि सम्बन्धी विवादों का हल किया जाये .यदि किसान का दावा सही है तो उन्हें उनकी जमीन के लिए उचित मुआवजा दिया जाये . 

३. काबर की जमीं को वर्षा के दिनों में मत्स्यजीवी सहकारी समूहों को तथा ग्रीष्म कालीन समय में कृषिजीवी सहकारी समूहों को पट्टे पर दिया जाये ताकि स्थानीय आबादी सहस्तित्व के साथ विकास कर सकें और काबर की परती जमीन का उत्पादक कार्यों में उपयोग हो सके . इन कार्यों के कुशल निष्पादन के लिए 'काबर भूमि उपयोग बोर्ड ' का गठन हो .

४. पट्टे से हासिल आय का उपयोग पारदर्शी रूप में काबर पाखी विहार के विकास व स्थानीय जन समूह के लिए कल्याणकारी कार्यों के लिए किया जाये . 

५. स्थानीय प्राथमिक व उच्च विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में काबर पक्षी विहार को शामिल किया जाये ताकि नयी पीढ़ी संवेदनशील रूप से काबर झील पक्षी विहार के संरक्षण से जुड़ सके .

६. स्थानीय ग्रामों में सघन रूप से हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिया जाये ताकि प्रवासी पक्षियों का अवैध शिकार करने वाले हाथ उत्पादक कार्यों से जुड़कर आय सृजन कर सकें . इनके स्वरोजगार के लिए सस्ते व आसान ऋण की भी व्यवस्था हो . इनके हस्तशिल्प उत्पादन की बिक्री 'काबर पर्यटन ग्राम ' में होगी   .

७. 'काबर पर्यटन ग्राम ' के अंतर्गत जयमंगला गढ़ द्वीप , गढ़पुरा का हरिगिरिधाम, नमक सत्याग्रह स्थल , हरसाइन स्तूप को भी शामिल किया जाये . इन सभी धार्मिक व एतिहासिक महत्व के स्थलों का अविलम्ब 
विकास किया जाये . 'काबर पर्यटन ग्राम ' के डिजाइन निर्माण में स्थानीय के साथ - साथ राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय स्तर के डिजाईनर की मदद ली जाये .

८ .'काबर पर्यटन ग्राम ' के अंतर्गत पर्यावरण की सुरक्षा , प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा , काबर झील की जैवविविधता की सुरक्षा व पर्यटकों की सुरक्षा तथा उनके सुविधाओं की देखभाल के लिए 'हरित थाना ' का गठन हो .

९. काबर पक्षी विहार के लिए अधिसूचित क्षेत्र में की जाने वाले कृषि कार्य में रासायनिक खाद व रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल प्रतिबंधित हो . किसानों को जैविक कृषि का प्रशिक्षण , तकनीकी अनुसमर्थन व जैविक खाद उपलब्ध कराया जाये . मछुआरों को काबर झील की जैवविविधता के प्रति संवेदनशील बनाया जाये .

१०.'काबर पर्यटन ग्राम ' की एक बेहतर पर्यटक स्थल के रूप में ब्रांडिंग - विज्ञापन करने के उद्देश्य से 'काबर पर्यटन संवर्धन परिषद् ' का गठन हो .इसमें स्थानीय जन प्रतिनिधि , बुद्धिजीवी , कलाकार - संस्कृतिकर्मी,मिडिया कर्मी,व्यवसायी वर्ग के साथ ही राष्ट्रीय - अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्वों को शामिल किया जाये . 

११. राजस्थान के 'मरू महोत्सव ', बिहार के 'राजगीर महोत्सव ' के तर्ज पर सालाना 'काबर महोत्सव ' का आयोजन हो .

१२. प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डाक्टर सालिम अली ,जिनके महती प्रयासों से काबर झील क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के पक्षी विहार के रूप में छवि बनी ,की स्मृति में 'डा .सालिम अली साइंस सिटी' बनाया जाये , 'पर्यावरण पार्क ' बनाया जाये .

१३. 'काबर पर्यटन ग्राम ' के अंतर्गत आने वाले विभिन्न पंचायतों को मिलकर एक महापंचायत का गठन हो जो इस पर्यटन ग्राम का प्रबंधन संभाले .

मित्रों ! अपना भी रचनात्मक सुझाव दें , और इस मुहीम को आगे बढ़ाएं !
जन चिंताओं के केंद्र में काबर पक्षी विहार को लायें !!

काबर झील पक्षी विहार की मूल समस्या :

१. गंडक नदी से काबर झील के लिए निर्मित लिंक नहर का बंद हो जाना . जिससे सालों भर झील में पानी नहीं रह पाता और जलीय जैव विवधता को काफी नुकसान पहुँचता है .

२. झील के सूख जाने पर वहां खेती की जाती है ,जिसमें कीटनाशक का छिडकाव जलीय जैव विवधता को नुकसान पहुँचाता है . किसान बंदरों के उत्पात से बचने के लिए खेतों में जहर का इस्तेमाल करतें हैं .पिछले दिनों यहाँ बड़ी तादाद में सिर्फ इस कारण बंदरों की अकाल मौत हुई .

३. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम १९७२ का यहाँ लागू होने के बावजूद प्रवासी पक्षियों का शिकार धड़ल्ले से होना .

४. स्थानीय लोगों के द्वारा पर्यावरण - मैत्री व्यवहार का अभाव .

५ . काबर झील पक्षी विहार किस प्रकार बेगुसराय के आर्थिक विकास में बड़ी भूमिका निभा सकता है ? इस मुद्दे पर जन जागरूकता का व्यापक अभाव .

६ . आश्चर्यचकित कर देने वाली सरकारी उदासीनता . बनाये गए योजनाओं के कार्यान्वयन में अतिशय विलंब के कारण योजना राशि का लैप्श करना .


७ . काबर झील के विकास के मुद्दे पर एक सशक्त व ईमानदार जनांदोलन का अभाव .

आईये ! जरा सोंचे , इस हालात में हम काबर झील पक्षी विहार के लिए क्या - क्या कर सकते हैं ? जो भी कुछ कर पायें बड़ी बात . यक़ीनन एक साझा प्रयास ही सर्वोत्तम रास्ता .


बचा सकें तो बचा लें एक उम्मीद / एक सपना / कि आश्रयी पक्षियों का एक सुन्दर घर हो काबर अपना .

Saturday, 28 January 2012

परिंदों को क्या पता

बदनीयतों की चाल परिंदों को क्या पता 
फैला है कहाँ जाल, परिंदों को क्या पता 

लोगों की कुछ लज़ीज़ निवालों के वास्ते 
उसकी खिचेंगी खाल, परिंदों को क्या पता 

उड़कर हजारों मील इसी झील किनारे
क्यूं आता है हर साल,परिंदों को क्या पता 

एक - एक करके सूखते ही जा रहे हैं क्यूं 
सब झील , सब टीले, परिंदों को क्या पता 
- लक्ष्मी शंकर वाजपेयी , दिल्ली