काबर ! ओ हमारे काबर
न जाने तेरे पानी में ऐसा क्या स्वाद है ,
तेरे आँचल में ऐसा क्या प्यार है ?
मध्य एशिया - साइबेरिया तक से
खींचे चले आते हैं यहाँ जान देने
हजारों - हजार परिंदे हर साल
खींचा चला आया था वो बूढ़ा
पक्षी विज्ञानी सालिम अली भी कभी
और बता दिया था दुनिया को
'पक्षियों का स्वर्ग' का पता - काबर
आद्र भूमियों की विश्व सूची में (रामसर साईट में)
शामिल कर दुनिया ने सम्मान से निहारा था तुम्हें
काबर ! ओ हमारे काबर
जब तुम जल आप्लावित रहे
मल्लाह के बेटे बन हमने निकाले अतिस्वादिस्ट मछलियाँ
जब तुम अपने पानी को समेट पसारा - सुखाया अपना जिस्म
किसान के बेटे हम श्रम - सीकर बहा तुम्हारे सीने पर उगाया मीठा धान
सब को जगह दी तूने
मछुआरों को , किसानो को , पक्षियों को , बंदरों को , नील गायों को ,.............
सभी सहकार से रहे थे अबतक - रह सकते हैं आगे भी
पर हमारे अन्दर का लालच
हमें शैतान बना दिया है
हम जो तुम्हारे बेटे हैं
तुम्हारी किस्मत पर कुंडली मारकर बैठे हैं
कभी समझाया था हमें एक लाठी टेकते बूढ़े ने
प्रकृति पूरी कर सकती है तुम सबकी जरूरतें
पर पूरी नहीं कर सकती किसी एक की भी लालच
न समझना था, न समझे हम
हमने मेहमां चिड़िया को मारा - दगाबाजी से
हमने मूक बंदरों को मारा - निर्लज्जता से
हमने नीलगायों को मारा - निर्दयता से
ख़त्म कर दी तुम्हारी गंडक से नाभिनालबद्धता
मार दी तुम्हारी जैवविविधता
तुम्हें बना दिया खटिया पर मरणासन्न लेटा, कराहता - कफ खांसता रोगी सा
तुम्हारे सीने पर गाड़ दी हमने स्वार्थ की ऊँची - ऊँची चिमनियाँ
ज्यों खड़े तुम्हारे सिरहाने
कुटिल नेत्रों से तुम्हें तकता
धूक रहे हों सिगरेट दर सिगरेट
करता हुआ अट्टाहास
काबर ! ओ हमारे काबर
हम जाते हैं दार्जिलिंग
सोचते हैं - काश ! होता हमारे पास दार्जिलिंग
हम जाते हैं कुल्लू - मनाली
सोचते हैं होता हमें भी कोई कुल्लू - मनाली
जाते हैं केवला देव पक्षी अभ्यारण्य
सोचते हैं होता हमारे पास भी ऐसा ही कुछ
पर यह क्या
हमारे पास तुम , केवला देव से कोई तीगुना
एशिया का विशालतम ताजे जल का प्राकृतिक झील
मार दिया हमने तुम्हें
कहकर कि किसानी के लिए तुम हो अभिशाप
हमने अपना लालची जिह्वा इतना पसारा कि
सिकुड़कर तुम बन गए एक उथला तालाब
तुम्हारे स्वादिस्ट मछलियों का स्वाद बिसुर कर
हम खाते हैं आन्ध्र का फीका - बासी मछलियाँ
जबकि तुम छका सकते हो पूरे जिला को अपने सुस्वादु मछलियाँ खिला - खिला
मीठे धान से भर सकते हो हर मेहनतकश के घर की कोठी
मखाना , पानीफल , रामदाना की पैदावर
क्या कम रहेगी तेरी गोद में ?
कहाँ हो ! हमारे कृषि विज्ञानी - मत्स्यज्ञानी
कहाँ हो ! जलकृषि के ज्ञाता
कहाँ हो ! ग्राम पर्यटन के भाग्यविधाता
क्या काबर तुमको नहीं लौक रहा
या है कोई ताकत जो तुमको यहाँ आने से रोक रहा
तुम्हें चाहिए रोजगार - काबर देगा
तुम्हें चाहिए धन - धान्य - काबर देगा
तुम्हें चाहिए मन की शांति - काबर देगा
तुम्हें चाहिए क्रीडा - कौतुक - काबर देगा
तुम्हें चाहिए यश - कीर्ति - काबर देगा
काबर , काबर है - बाँझ नहीं
विश्वास करो
मृत्युशैया पर लेटा यह
लौट आये फिर अपनी रौ में
तीमारदारी कुछ ऐसा, अब यार करो
काबर ! ओ हमारे काबर
तेरे सीने पर पसरा सन्नाटा
हमारे सीने में बवाल काट रहा है
तेरे गर्भ की आग
हमारे माथे को सुलगा दिया है
हमारे आँखों में तिर आये लाल - लाल डोरे
लाल फरेरे बन फहर जाना चाहते हैं आसमां में
हमें दिखता है अब चारो तरफ काबर ही काबर
सुबहे काबर - शामे काबर
काबर ! ओ हमारे काबर
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